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'दरख़्त की छांव में' अरूज़ और काब्य का अनूठा संगम — जगदीश बाली

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'दरख़्त की छांव में' अरूज़ और काब्य का अनूठा संगम — जगदीश बाली

 हाल ही में सतीश कुमार (शर्मा) का एक काब्य संग्रह शाया हुआ है। पुस्तक को पढ़ने के बाद जो लगा उसे यहां उंडेल रहा हूं।  पुस्तक तीन भागों में है। इसमें हिंदी-उर्दू का अनोखा संगम देखने को मिलता है। पुस्तक … पढना जारी रखे

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