Author Archives: pustakdharahp

संवेदना, टीस और हौंसले का संगम…… अनकहे जज़्बात

काव्य संग्रह   अनकहे जज़्बात – राजीव डोगरा  !   डॉ. नीरज पखरोलवी !  “अनकहे जज़्बात” राजीव डोगरा जी का प्रथम काव्य संग्रह है l इसमें कुल पचास कविताएं शामिल हैं l ये सभी कविताएँ विभिन्न विषयों के प्रति विभिन्न मनोभावों को अपने में समाहित किए हुए हैं । … पढना जारी रखे

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पुस्तक ‘लाडो’ की समीक्षा

साझा काव्य संग्रह ‘लाडो’ की समीक्षा ।  समीक्षक प्रो रणजोध  सिंह। संपादन रौशन जसवाल।                  लाडो हमारे घरों की आन-बान और शान  लाडो शब्द का ध्यान करने मात्र से ही हृदय रोमांचित हो जाता … पढना जारी रखे

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"सूत्रधर" कविता संकलन

 * सूत्रधर    ओड़िया      कविता संकलन *              अनुवाद    पारमिता षड़ंगी         *      समीक्षा ईप्सिता षड़ंगी *         ——————————————  “सूत्रधर” पिताजी कवि डॉ. बंशीघर षड़ंगी की नवम कविता संकलन है।“सूत्रधर” के नाम करण से … पढना जारी रखे

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"सम्बित के पास जब मैं नहीं थी" (कहानी संग्रह)

 *  पुस्तक समीक्षा    “सम्बित के पास जब मैं नहीं थी”    (कहानी संग्रह)  *  पारमिता  षडंगीं‌    * समीक्षा *   प्रदीप बिहारी    बेगूसराय (बिहार)  *  संवेदना को छूती कहानियां पारमिता षडंगीं‌ की मातृभाषा ओड़िआ है। वह ओडिआ के अतिरिक्त हिंदी भी जानती हैं। हिंदी भी उतना … पढना जारी रखे

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इस आदमी को बचाओ"

फेसबुक पर अशोक कुमार जी टिपण्णी  _________________ प्रिय कवि अजेय के इस संग्रह “इस आदमी को बचाओ” को आधार प्रकाशन से छपकर आये हुए लगभग एक वर्ष का समय होने को है। कवि अजेय पर्वतीय संवेदनाओं के कवि हैं किंतु … पढना जारी रखे

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पुस्तक समीक्षा काव्य संग्रह–चिराग

*  पुस्तक समीक्षा   काव्य संग्रह–चिराग *  लेखक-शिव सन्याल   * समीक्षा *  गोपाल शर्मा *   —————————————————- एक इंजीनियर के मन मस्तिष्क से जब कविता जन्म लेती है तो मानवता में प्रकाश फैलाने के लिए “चिराग” स्वयमेव प्रजवलित हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ शिव सन्याल … पढना जारी रखे

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दुनिया के होने की आवाज़

फेसबुक पर अशोक कुमार जी समीक्षा  “दुनिया के होने की आवाज़” आधार प्रकाशन से आया कवि प्रदीप सैनी का पहला काव्य संग्रह है। ऑनलाइन पोर्टल्स और पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर छपने वाले प्रदीप सैनी फिलहाल किसी परिचय के मोहताज नहीं … पढना जारी रखे

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'दरख़्त की छांव में' अरूज़ और काब्य का अनूठा संगम — जगदीश बाली

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'दरख़्त की छांव में' अरूज़ और काब्य का अनूठा संगम — जगदीश बाली

 हाल ही में सतीश कुमार (शर्मा) का एक काब्य संग्रह शाया हुआ है। पुस्तक को पढ़ने के बाद जो लगा उसे यहां उंडेल रहा हूं।  पुस्तक तीन भागों में है। इसमें हिंदी-उर्दू का अनोखा संगम देखने को मिलता है। पुस्तक … पढना जारी रखे

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