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sahitysugandhblog पर The Spark is Within You . By J… रौशन जसवाल विक्षिप्… पर The Spark is Within You . By J… अनाम पर मनोज चौहान का कविता संग्रह पत्… अनाम पर … अनाम पर … पुरालेख
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Tag Archives: समीक्षा
संवेदना, टीस और हौंसले का संगम…… अनकहे जज़्बात
काव्य संग्रह अनकहे जज़्बात – राजीव डोगरा ! डॉ. नीरज पखरोलवी ! “अनकहे जज़्बात” राजीव डोगरा जी का प्रथम काव्य संग्रह है l इसमें कुल पचास कविताएं शामिल हैं l ये सभी कविताएँ विभिन्न विषयों के प्रति विभिन्न मनोभावों को अपने में समाहित किए हुए हैं । … पढना जारी रखे
इस आदमी को बचाओ"
फेसबुक पर अशोक कुमार जी टिपण्णी _________________ प्रिय कवि अजेय के इस संग्रह “इस आदमी को बचाओ” को आधार प्रकाशन से छपकर आये हुए लगभग एक वर्ष का समय होने को है। कवि अजेय पर्वतीय संवेदनाओं के कवि हैं किंतु … पढना जारी रखे
पुस्तक समीक्षा काव्य संग्रह–चिराग
* पुस्तक समीक्षा काव्य संग्रह–चिराग * लेखक-शिव सन्याल * समीक्षा * गोपाल शर्मा * —————————————————- एक इंजीनियर के मन मस्तिष्क से जब कविता जन्म लेती है तो मानवता में प्रकाश फैलाने के लिए “चिराग” स्वयमेव प्रजवलित हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ शिव सन्याल … पढना जारी रखे
दुनिया के होने की आवाज़
फेसबुक पर अशोक कुमार जी समीक्षा “दुनिया के होने की आवाज़” आधार प्रकाशन से आया कवि प्रदीप सैनी का पहला काव्य संग्रह है। ऑनलाइन पोर्टल्स और पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर छपने वाले प्रदीप सैनी फिलहाल किसी परिचय के मोहताज नहीं … पढना जारी रखे
जीवन के उच्च मूल्यों को दर्शाती 'खाली भरे हाथ'
समीक्षा खाली भरे हाथ। मूल लेखक : आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र I अनुवाद राम लाल वर्मा राही I समीक्षक : रौशन जसवाल ————————————– खाली भरे हाथ आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र की हिन्दी बोध कथाओं का पहाड़ी (क्योंथली) अनुवाद है। अनुवाद … पढना जारी रखे
बिना श्रेणी में प्रकाशित किया गया
Tagged अनुवाद, आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र, राम लाल वर्मा राही, रौशन जसवाल, समीक्षा
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देवता झूठ नहीं बोलता
* पुस्तक समीक्षा देवता झूठ नहीं बोलता* लेखक-मनोज चौहान * समीक्षा * रौशन जसवाल * ——————————————————- बात निकलेगी तो दूर तलक जाऐगी। अब शीर्षक ही लीक से हट कर हो तो चर्चा होना स्वाभाविक है। शीर्षक है देवता झूठ नहीं बोलता, मनोज चौहान का लघुकथा … पढना जारी रखे
सुबकते पन्नों पर बहस : एक सार्थक संवाद
सतीश धर जी की फेसबुक वॉल से कवि-आलोचक डॉ. अनिल पांडेय ने सुबकते पन्नों पर बहस की कविताओं के माध्यम से समकालीन हिंदीकविता पर जो आलोचनात्मक टिप्पणियां दी हैं वे सुबकते पन्नों पर बहस के कवि अनुज देवेंद्र धर के … पढना जारी रखे